Thursday, July 31, 2014

इक चाँद तन्हा है,इक तन्हा हम हैं - मनीषा साहू

इक तन्हा चाँद ,इक तन्हा हम
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© मनीषा साहू Manisha Sahu
 B.A. ( English),Sem V ,Marwari College, Ranchi.
तुमसे जुड़ तो गए
लेकिन बहुत अकेले रह गए हम
तुम से पा तो लिया
लेकिन सब कुछ खो दिए हम,
ना जाने ये ज़िन्दगी क्या दिखाएगी हमें
बस इस कश्मकश में बहते चले गए हम ,      
सोचा बढूँ मंजिल की   तरफ
पर तनहाइयों में गिरते चले हम  
चाहा जिंदगी को हँसते-हँसते गुजारेंगे
पर आंसुओं में बहते चले गए हम                    
सोचा किसी का हाथ थाम लें
पर किस्मत की बेवफाई से जुड़ते चले गए हम
वफ़ा तो बहुत किये
पर बेवफा कहलाते रहे हम
साथ न छोडूं किसी का
ये ली थी मैंने कसम
पर सब छूट गया
और तनहा रह गए हम
जिंदगी क्या है ये सोचते रहे हम
पर अब जाना जिन्दगी का मतलब कि
दूर तलक आकाश में
इक तन्हा चाँद,और इक तन्हा हम     !!

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