Saturday, July 26, 2014

तेरी छुवन से पाक होता हूँ

जब उदास होता हूँ
स्याह रात होता हूँ

पास आओ न मेरे
मैं बेजज्बात होता हूँ

लेना है जब तुम्हे
बेहिसाब उधार होता हूँ

बचा कुछ भी नही अब
सुपुर्दे खाख होता हूँ

गन्दा कर भी न सकोगे
तेरे छुवन से पाक होता हूँ

(c) विनय भरत

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