Thursday, July 31, 2014

इक चाँद तन्हा है,इक तन्हा हम हैं - मनीषा साहू

इक तन्हा चाँद ,इक तन्हा हम
===========
© मनीषा साहू Manisha Sahu
 B.A. ( English),Sem V ,Marwari College, Ranchi.
तुमसे जुड़ तो गए
लेकिन बहुत अकेले रह गए हम
तुम से पा तो लिया
लेकिन सब कुछ खो दिए हम,
ना जाने ये ज़िन्दगी क्या दिखाएगी हमें
बस इस कश्मकश में बहते चले गए हम ,      
सोचा बढूँ मंजिल की   तरफ
पर तनहाइयों में गिरते चले हम  
चाहा जिंदगी को हँसते-हँसते गुजारेंगे
पर आंसुओं में बहते चले गए हम                    
सोचा किसी का हाथ थाम लें
पर किस्मत की बेवफाई से जुड़ते चले गए हम
वफ़ा तो बहुत किये
पर बेवफा कहलाते रहे हम
साथ न छोडूं किसी का
ये ली थी मैंने कसम
पर सब छूट गया
और तनहा रह गए हम
जिंदगी क्या है ये सोचते रहे हम
पर अब जाना जिन्दगी का मतलब कि
दूर तलक आकाश में
इक तन्हा चाँद,और इक तन्हा हम     !!

एक फिलिस्तीन इधर भी है!

एक इजराईल इधर भी है
एक फिलिस्तीन इधर भी है
जो बहता है तेरे दिल में
जो रिसता है मेरे दिल में

कत्लें सिर्फ उधर ही नहीं हो रहीं
इधर भी हो रहीं कत्लें दिन और रात
एक बीज बोता है,लगाता है फसलें
दूसरा उन्हें काट के कत्ल करता हैं नस्लें

हर रोज़ होता है हमारे तर्जनी का क़त्ल
फिर भी लहलहा आती हैं तर्जनियाँ
तर्जनियों के खरीदार अब बचा सिर्फ एक
हज़ारों तर्ज़ानियों की  हो रहीं फिर भी कत्लें

एक गाजा इधर भी  बन रहा है दोस्तों
बजाओ तालियाँ की उसका उदघोष बाकी है
बस ठेकेदारों से कोई तिथि लेनी बाकी है
कोई शुभ मुर्हुत देख चढ़ाई जायेंगी नर बलियां

हाँ!! सुख ही चुकी है यमुना,सड़ चुकी है!!
तुमसे ही पाट कर बनेंगी वहां गाजा पट्टियाँ!!
हाँ, एक इजराईल इधर भी है
एक फिलिस्तीन इधर भी है
जो बहता है तेरे दिल में
जो रिसता है मेरे दिल में!!

#विनय, आखिर करीब आ ही चूका है वो रात!

(c) विनय भरत के आगामी 'कतरन' से साभार!

Sunday, July 27, 2014

http://m.facebook.com/l.php?u=http%3A%2F%2Fnews.oneindia.in%2Ffeature%2Fcongress-clean-sweeps-uttarakhand-by-polls-is-bjp-losing-1489902.html&h=UAQEHZQU6&s=1&enc=AZOR_iodrLGt86WWluLv-tMdKsylyZ-mVHaWDDekJ8Q58jArMJvniUk4DqojXjwPZ9q7VVyiCCLcCNFwTCkiOSgmtRxC4NHNfksL6GWw1W_GpA&no_warn_external=1

Is अच्छे दिन euphoria  over??!!

Saturday, July 26, 2014

तेरी छुवन से पाक होता हूँ

जब उदास होता हूँ
स्याह रात होता हूँ

पास आओ न मेरे
मैं बेजज्बात होता हूँ

लेना है जब तुम्हे
बेहिसाब उधार होता हूँ

बचा कुछ भी नही अब
सुपुर्दे खाख होता हूँ

गन्दा कर भी न सकोगे
तेरे छुवन से पाक होता हूँ

(c) विनय भरत

AJSU A REBEL

कैसे संघर्ष किये हमने
जैसे विष दिए तुमने!!

आजसू की संघर्ष गाथा।
सिर्फ आपके 13मिनट हमें समझने के लिए काफी हैं।

watch it..
http://youtu.be/BoqaFhWvttU

AJSU PARTY a rebel

Friday, July 25, 2014

मनमोहन तेरा गुनाहगार हूँ -विनय भरत

जब से मोदी को समझने लगा हूँ
मनमोहन तुम याद आने लगे हो
जब हुई ये खता नादान था मैं
तेरे क़त्ल की रात का गुनाहगार हूँ मैं

नयी सुबह की तलाश थी
ख़बरें दिन रात तेरे खिलाफ थीं
नए सब्जबाग का घोला था ज़हर
नए खुदा की हमें तलाश थी
जब मिला वो इस पैरहन में
रहता हो कोई फ़रिश्ता जिसमें
उसका सजदा उसका झुकना
थी अगर कुछ तो सिर्फ अदा थी

 लुटा हूँ मैं ,शर्मिंदा हूँ
मोदी की चाक़ू थी,हाथ मेरे थे
तेरे क़त्ल का मनमोहन
मैं गुनाहगार हूँ।

(c) विनय भरत