एक इजराईल इधर भी है
एक फिलिस्तीन इधर भी है
जो बहता है तेरे दिल में
जो रिसता है मेरे दिल में
कत्लें सिर्फ उधर ही नहीं हो रहीं
इधर भी हो रहीं कत्लें दिन और रात
एक बीज बोता है,लगाता है फसलें
दूसरा उन्हें काट के कत्ल करता हैं नस्लें
हर रोज़ होता है हमारे तर्जनी का क़त्ल
फिर भी लहलहा आती हैं तर्जनियाँ
तर्जनियों के खरीदार अब बचा सिर्फ एक
हज़ारों तर्ज़ानियों की हो रहीं फिर भी कत्लें
एक गाजा इधर भी बन रहा है दोस्तों
बजाओ तालियाँ की उसका उदघोष बाकी है
बस ठेकेदारों से कोई तिथि लेनी बाकी है
कोई शुभ मुर्हुत देख चढ़ाई जायेंगी नर बलियां
हाँ!! सुख ही चुकी है यमुना,सड़ चुकी है!!
तुमसे ही पाट कर बनेंगी वहां गाजा पट्टियाँ!!
हाँ, एक इजराईल इधर भी है
एक फिलिस्तीन इधर भी है
जो बहता है तेरे दिल में
जो रिसता है मेरे दिल में!!
#विनय, आखिर करीब आ ही चूका है वो रात!
(c) विनय भरत के आगामी 'कतरन' से साभार!
एक फिलिस्तीन इधर भी है
जो बहता है तेरे दिल में
जो रिसता है मेरे दिल में
कत्लें सिर्फ उधर ही नहीं हो रहीं
इधर भी हो रहीं कत्लें दिन और रात
एक बीज बोता है,लगाता है फसलें
दूसरा उन्हें काट के कत्ल करता हैं नस्लें
हर रोज़ होता है हमारे तर्जनी का क़त्ल
फिर भी लहलहा आती हैं तर्जनियाँ
तर्जनियों के खरीदार अब बचा सिर्फ एक
हज़ारों तर्ज़ानियों की हो रहीं फिर भी कत्लें
एक गाजा इधर भी बन रहा है दोस्तों
बजाओ तालियाँ की उसका उदघोष बाकी है
बस ठेकेदारों से कोई तिथि लेनी बाकी है
कोई शुभ मुर्हुत देख चढ़ाई जायेंगी नर बलियां
हाँ!! सुख ही चुकी है यमुना,सड़ चुकी है!!
तुमसे ही पाट कर बनेंगी वहां गाजा पट्टियाँ!!
हाँ, एक इजराईल इधर भी है
एक फिलिस्तीन इधर भी है
जो बहता है तेरे दिल में
जो रिसता है मेरे दिल में!!
#विनय, आखिर करीब आ ही चूका है वो रात!
(c) विनय भरत के आगामी 'कतरन' से साभार!
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