जब उदास होता हूँ
स्याह रात होता हूँ
पास आओ न मेरे
मैं बेजज्बात होता हूँ
लेना है जब तुम्हे
बेहिसाब उधार होता हूँ
बचा कुछ भी नही अब
सुपुर्दे खाख होता हूँ
गन्दा कर भी न सकोगे
तेरे छुवन से पाक होता हूँ
(c) विनय भरत
स्याह रात होता हूँ
पास आओ न मेरे
मैं बेजज्बात होता हूँ
लेना है जब तुम्हे
बेहिसाब उधार होता हूँ
बचा कुछ भी नही अब
सुपुर्दे खाख होता हूँ
गन्दा कर भी न सकोगे
तेरे छुवन से पाक होता हूँ
(c) विनय भरत
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